Monday, June 2, 2008

सर गणेशदत्त महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर वाल्मीकि सिंह


ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की अंगीभूत ईकाई सर गणेशदत्त महाविद्यालय बेगुसराय के शैक्षणिक गौरव का प्रतीक रहा है। वर्तमान माहौल में ''बेगुसराय-पुलिस'' की भूमिका पर महाविद्यालय के प्राचार्य डाक्टर प्रोफेसर वाल्मीकि सिंह के साथ हमारे प्रतिनिधि ने कुछ पल बिताए ,प्रस्तुत है बातचीत का संपादित अंश:-
प्रश्न:-जिला के सबसे पुराने महाविद्यालय के प्राचार्य के रूप मे आपके ऊपर छात्र-छात्राओं की सुरक्षा की भी जिम्मेदारी है,इस परिप्रेक्ष्य मे आप बेगुसराय पुलिस से क्या अपेक्षा रखते हैं?
श्री सिंह :-बेगुसराय की पुलिस खासकर अमित लोढ़ा के पदस्थापना के बाद से जिले का माहौल बिल्कुल बदला है।मेरी यही अपेक्षा है की जिस तरह अपने कुशल नेत्रित्व मे आरक्षी अधीक्षक महोदय दूरदर्शिता का परिचय देते हुए जिले की अपराधिक गतिविधि को नियंत्रित कर पाने मे सफल हुए हैं ,उसी तरह वे निरंतर प्रयासरत रहे.महाविद्यालय परिसर मे होने वाली अराजकता को कम करने हेतु मैंने उन्हें आवेदन भी दिया है और कुछ अपनी मांग भी रखी है ताकि महाविद्यालय परिसर भी शांत और सुरक्षित रहे।
प्रश्न:-वर्तमान आरक्षी अधीक्षक की कार्यशैली से आप कितने संतुष्ट हैं?
श्री सिंह:-मैंने तो आपको बताया ही कि शायद यह बेगुसराय का सौभाग्य है कि अमित जी जैसे युवा प्रशासक जिले को नसीब हुए हैं.अपनी कुशल प्रशासनिक क्षमता के बल पर उन्होंने जिला कि सूरत बदल कर रख दिया है। उनके अधीनस्थों मे भी जिम्मेवारी कि भावना प्रगाढ़ हुई है। अब पुलिस डंडे के बल पर नही बल्कि प्रेम और जनसहयोग के बल पर शान्ति-व्यवस्था कायम कर रही है,जो बहुत बड़ी उपलब्धि है। इसलिए मैं तो यह कहना चाहूँगा कि अमित लोढा की कार्यशैली वास्तव मे पारदर्शी है और जिला के लोगों के लिए ऐसे अधिकारी किसी वरदान से भी कम नही है।
प्रश्न :-महाविद्यालय परिसर मे आए दिन विभिन्न छात्र संगठन बात बेबात धरना प्रदर्शन,तोड़-फोड़ इत्यादि कर माहौल को बिगाड़ते रहते हैं,इस सम्बन्ध मे सुरक्षा के लिहाज से आप बेगुसराय पुलिस पर कितने निर्भर हैं?
श्री सिंह:-देखिये, छात्र संगठन और ख़ास कर युवा वर्ग आज के माहुल मे अपने धैर्य को खो चुके हैं। उन्हें लगता है की हल्ला बोल कर हम अपने अधिकार के लिए लड़ रहे हैं जो की सर्वथा ग़लत है । बात बेबात शैक्षणिक कार्यों को ठप करने की प्रवृति पर रोक बहुत जरुरी है। लेकिन जिला पुलिस इसमे हमारी काफी मदद करती है। टाइगर मोबाइल के जवान सुचना पाते ही सक्रिय हो जाते हैं और ऐसे तत्व पर अंकुश भी लगाते हैं। लेकिन मेरी आरक्षी अधीक्षक से यह मांग है की महाविद्यालय परिसर मे एक पुलिस पिकेट की स्थापना कर दी जाए।
प्रश्न:-बेगुसराय पुलिस जनता के और करीब जाए इसके लिए आपके सुझाव क्या हैं?
श्री सिंह:-जब तक जनता के मन मे पुलिस के प्रति विश्वास की भावना का विकास नही होगा तब तक सफल प्रशासन की कल;पना नही की जा सकती है। इसलिए आरक्षी अधीक्षक महोदय से गुजारिश है की वे जिस तरह आम जनता के साथ संवाद कायम किए हुए हैं उसे और गति प्रदान किया जाए। अपने अधीनस्थों को भी जनता के प्रति जिम्मेवार बनाया जाए तभी पुलिस और पब्लिक के बीच सामंजस्य स्थापित हो सकेगी।
प्रश्न:- आरक्षी अधीक्षक अमित लोढा द्वारा प्रारम्भ किए गए ''बेगुसराय-पुलिस'' के ब्लॉग साईट के सम्बन्ध में आप क्या कहना चाहेंगे?
श्री सिंह:-तकनीक पर आधारित होते जा रहे समाज को तकनीक को आत्मसात करने की आवश्यकता है। बेगुसराय पुलिस के इस तकनिकी उपलब्धि को साधुवाद देते हुए मैं सफल और सुंदर भविष्य की शुभकामना देता हूँ। आम लोग अब सीधे बेहिचक आरक्षी अधीक्षक को कोई भी गुप्त सुचना उपलब्ध करा सकेंगे जिससे पारदर्शी माहौल तो बनेगा ही साथ ही समस्या का समाधान भी सहज रूप से हो सकेगा।

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